अति प्राचीन गुफा में बैठी है शक्ति की देवी माँ तुलजा भवानी


  • आगर मालवा-सारंगपुर मार्ग पर पहाड़ों पर विराजित है शक्ति की देवी मां तुलाजी भवानी। माता रानी का दरबार सदियों से  जन-जन की आस्था  का केन्द्र है। सुरम्य पहाड़ी व हरी-भरी वादियों के मध्य गुफाबर्डा स्थल के नाम से क्षेत्र में प्रसिद्ध इस स्थान पर मां का प्राचीन मंदिर है।जहां प्रकृति ने साक्षात मां तुलजा भवानी को गुफा में विराजित कर रखा है।

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भवानी का वास्तविक स्वरूप अत्यंत करूणामयी एवं मनमोहक दिखाई देता है। अपनी चमत्कारिक जीवंतता
के चलते यह स्थान सम्पूर्ण मालवांचल में विख्यात होकर  अगाथ श्रद्धा का केन्द्र बना है।यहां वर्ष की दोनों नवरात्रि में भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्रि में प्रात: 5 बजे होने वाली आरती में भक्तों का हुजूम उमड़ता है। इतिहासकारों के अनुसार इस गुफा को बौद्धकालीन अर्थात 2 हजार वर्ष पुरानी बताई जाती है।पंडित गणेश दत्त शर्मा इंद्र ने भी आगर के इतिहास में मंदिर की प्राचीनता का उल्लेख किया है।
लोगो का मानना है कि मां तुलजा भवानी प्रात: दोपहर और संध्या को तीन स्वरूप में दर्शन देती है।माना जाता है कि सुबह बाल्य, दोपहर में जवान शाम को बुजुर्ग अवस्था के दर्शन होते है।
 लाल चट्टान के विशाल खण्ड से मंदिर के स्वरूप में आए इस स्थल पर मां तुलजा भवानी का प्रतिमाकार स्वरूप भी चट्टानी खण्ड पर ही उत्कीर्ण है।यहां प्रतिमा स्थापना की कोई प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। परन्तु आगर का इतिहास लिखने वाले पंडित गणेश दत्त शर्मा इन्द्र द्वारा लिखित आगर के इतिहास में बताया गया कि आगर के आग्नेय कोण में गुफाबर्डा नामक एक प्रसिद्ध स्थान है जहां एक गुफा बनी हुई है उस गुफा को माता का मंदिर भी कहा जाता है पं. इन्द्र ने इस स्थल को बौद्धकालीन मानते हुए मां की प्रतिमा को 2 हजार वर्ष प्राचीन बताया है। मंदिर में जिस स्थान पर प्रतिमा स्थित है। उसके ठीक पीछे गुफारूपी गलियारा है। इस गलियारे के मध्य भाग में सुरंग मार्ग के मुहाना होने की धारणा है। किवंदतियों के अनुसार इस सुरंग और गुफा मार्ग से उज्जैयनी के राजा मां तुलजा भवानी के दर्शन करने आते थे। वर्तमान में शासनाधीन इस प्राचीन मंदिर का मौजूदा स्वरूप सन् 1945 में स्थानीय लोगों द्वारा जन सहयोग से कराए गए जीर्णोद्वार के बाद अस्तित्व में आया है। विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौधों से आच्छादित इस पहाड़ी का हरित स्वरूप बरबस ही हर किसी का मन मोह लेता है।मंदिर के पिछले हिस्से तीन खाल का तालाब जहां वर्षो पूर्व तुलजा सरोवर को आकार दिया गया था।


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