नेशनल हाइवे पर टूट रहे नियम, दुर्घटनाओं में भी टूट रही है जीवन की डौर

सुसनेर। सब जानते है, कि यातायात के नियम तौडना जूर्म है। इसके बाद भी अनदेखी करते है। पुलिस सीख देती है, चालन भी काटती है, लेकिन लोग है कि नियम तौडने से बाज नहीं आते है। यही वजह है कि शहर से गुजर रहे 552 जी नेशनल हाइवे पर होने वाले हादसों में लगातार लोगो की जाने जा रही है। बीते साल 2019 में ही सैकडो लोगो की मौत हुई है। हालहि  का उदाहरण हमारे सामने है खनोटा जोड का जहां पिकअप व टवेरा की भिंडत में 3 लोग जान गवा चुके है वही एक महिला अभी भी जिदंगी ओर मौत के बीच संघर्ष कर रही है। अन्य लोग घायल है जिनके जल्द स्वस्थ्य होने की कामना पूरा क्षेत्र कर रहा है। नेशनल हाइवे पर अधिकांश दुर्घटना के मामले ऐसे सामने आते है जिनमें वाहन चालक नशीले पदार्थो का सेवन कर वाहन चलाते है। और उनके होशोहवाश खाते ही दुर्घटना हो जाती है। ऐसे में सड़क मार्गो से यात्रा करने वाले हर वाहन चालक व यात्री को अपनी जीवन के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। 


बगैर हेलमैट व सिटबेल्ट न लगाना भी बनता है दुर्घटना का कारण 


कई दुर्घटना के मामलो में दो पहीया वाहन चालको के हैलमेट न पहने से भी मौत हो जाती है। तो वही चार पहीया वाहनो में सिटबेल्ट न लगाए जाने के कारण भी दुर्घटना में घायल लोगाे को गंभीर चोटे अा जाती है। पुलिस हर साल यातायात सप्ताह के तहत लोगो काे जागरूक करती है, लेकिन फिर भी लोग बगैर हैलमैट के ही दो पहीया वाहन चला रहे है। तेज रफ्तार के मामले में भी दो पहीया चालक सारी सीमाएं तोडते हुएं नजर आते है।


जानलेवा औवरलोडिंग भी बनती है दुर्घटना का कारण


शहर सहित ग्रामीण अंचल में संचालित यात्री वाहनो में ओवरलोडिंग पर कोई लगाम नहीं है। पिकअप वाहनो से लेकर यात्री बसे व अन्य वाहन यात्रियों को उपर छत व बौनट पर बैठाकर के सफर कराते है। जो कि हादसे का कारण बनते है। तहसील मुख्यालय से ग्रामीण क्षेत्रो में चलने वाले इन टाटा मैजिक व पिकअप जैसे छोटे वाहनो में क्षतता से अधिक लोगा को बैठाया जा रहा है। जो कि नियमो के विरूद्ध है। 


संकरी सडक, घुमावदार मोड और गड़ढे भी देते है हादसे को न्योता


इंदौर-कोटा राजमार्ग को भले ही नेशनल हाइवे बना दिया गया हो, लेकिन इस पर सुविधा कुछ भी नहीं है। मार्ग सालो से संकरा होकर साईडे आज भी खाली पडी है, इस वजह से वाहन को हादसे का शिकार हो रहे है। वही घुमावदार अंदरूणी मोड पर क्रांसिंग करते समय ज्यादा हादसे होते है। पूरे जिलें की सीमा में दर्जनभर स्थान डेंजर जोन बने हुएं है। तो वही मार्ग के बीच-बीच में हो रहे गड़ढे भी हादसे को न्योता देते हुएं दिखाई देते है।  


शहर में ट्रैफिक पुलिस का अभाव है, उसके बाद भी पुलिस द्वारा अपने पर व्यवस्था करके अभियान चलाकर करके लोगो को ट्रैफिक नियमों की जानकारी दी जाती है। साथ ही समय-समय पर चालान काटने की कारवाई भी की जाती है। लेकिन उसके बाद भी लोग अपने जीवन के प्रति सजग नहीं है। वाहन चालको को अपनी जिन्दगी की फ्रिक होना चाहिए। एेसे में उन्है जरूरत है कि वे धीरे चले व ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुएं वाहन चलाए।
                                                                                                             विवेक कानोडिया थाना प्रभारी


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