कह दो अंधेरों से कहीं और घर बना लें...मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है...
देश मे लॉक डाउन है...मगर उम्मीदों की किरणों ने एक बार फिर देश मे दिवाली मना दी...जश्न ऐसा की हर कोई दीपक प्रज्वलित कर कोरोना को हराने घर की देहरी पर आकर खड़ा हो गया...जनता कर्फ्यू की तरह ही आज भी ताली, थाली व शंख का प्रयोग किया गया...दीपक ही प्रज्वलित नही हुवे...टार्च,मोबाईल की फ्लैश लाईट के साथ मोमबत्ती, फुलझड़ी और फटाखे तक गूंजते रहे...मानो देश दिवाली मनाते हुवे कह रहा हो...सौगंध मुझे इस मिट्टी की में देश नहीं मिटने दूंगा...वह जितने अंधेरे लाएंगे...में इतने उजाले लाऊंगा वह जितनी रात बढ़ाएंगे...में उतने सूरज ऊगा लूंगा...इस छल फरेब की आंधी में...यह दीप नहीं बुझने दूंगा मैं देश नहीं मिटने दूंगा...कह दो अंधेरों से कहीं और घर बना लें...मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है...
जय श्री महाकाल