संतरा फसल को काली मस्सी एवं डाईबेक बीमारी से बचाने हेतु उप संचालक ने बताए उपाय

आगर-मालवा-संतरा फसल उत्पादन में आगर जिले को देश में छोटा नागपुर के नाम से जाना जाता है। संतरा फसल उत्पादन में मध्यप्रदेश में प्रथम स्थान रखने वाले जिला आगर मालवा प्रदेश ही नहीं बल्कि पुरे देश सहित महानगरों (दिल्ली, मुम्बई, चैन्नई, बैंगलोर, कोलकाता, भोपाल, इंदौर आदि) में संतरा पहुचाने का काम करता है।


उप संचालक उद्यान अतर सिंह कन्नौजी एवं वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डाॅ. आर.पी.एस. शक्तावत ने विकासखण्ड आगर के ग्राम तोलाखेड़ी,काशीबर्डिया में संतरा उत्पादक कृषक  दरियाव सिंह पिता मेहताब सिंह, अमर सिंह पिता मांगूजी, करण सिंह पिता रामसिंह सहित अन्य कृषकों के प्रक्षेत्र पर भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान संतरा उत्पादक कृषकों की संतरा फसल में काली मिस्सी बीमारी दिखाई दी। संतरा फसल में काली मिस्सी बीमारी की वाहक काली मक्खी द्वारा फैलाई जाती है। जिसकी की रोकथाम के लिए उप संचालक उद्यान एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा सिस्टमेटिक कीटनाशी ईमिडा क्लोरोप्रीड का 10 एमएल प्रति पंप (15 लीटर) के मान से स्प्रे करने की सलाह दी एवं 15 दिवस बाद पुनः स्प्रे करने तथा इस बीमारी की रोकथाम करने के लिए हर 04 माह बाद सिस्टमेटिक कीटनाशी का स्प्रे करने से संतरा फसल में लगने वाली बीमारी नहीं होगी। साथ ही साथ उप संचालक उद्यान कन्नौजी एवं डाॅ. शक्तावत ने कृषकों से अपील की है कि संतरा उत्पादक कृषक डाईबेक बीमारी की रोकथाम के लिए बोर्डाे मिक्चर (चूनाःनिला थोथाःपानी 1ः1ः100) के मान से स्प्रे करवाए एवं बोर्डाे पेस्ट (1ः1ः10) बनाकर प्रति पौधे के तने पर जमीन से 1 मीटर की ऊंचाई तक लगाए। संतरा फसल में होने वाली अन्य उद्यानिकी फसलों की बीमारी की रोकथाम के लिए विकासखण्ड स्तर पर स्थित उद्यानिकी कार्यालय तथा उप संचालक उद्यान, जिला कार्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, जिला आगर मालवा में सम्पर्क करें। जिससे बीमारी की रोकथाम के लिए कृषकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया जा सके।


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