वर्चुअल रैली और सोशल मीडिया में कांग्रेस कर पाएगी भाजपा का मुकाबला?
24 विधानसभा उपचुनाव कोरोना महामारी के चलते कुछ अलग ही मिजाज और तौर-तरीकों से लड़े जाएंगे। भाजपा ने चुनावी जंग में वर्चुअल रैली के माध्यम से अपना चुनावी एजेंडा सेट करते हुए कार्यकर्ताओं के साथ ही आम जनमानस से संवाद करना प्रारंभ कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का 1 साल पूरा होने के अवसर पर अनेक ऐसी रैलियों का आयोजन हो चुका है। मध्यप्रदेश में 3 जुलाई को शिवराज सरकार के 100 दिन पूरा होने के अवसर पर वर्चुअल रैली की गई जिसको मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व केंद्रीय मंत्री भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने संबोधित करते हुए सरकार की उपलब्धियों के साथ ही कमलनाथ सरकार के 15 माह के कार्यकाल को लेकर तीखा हमला बोला। सोशल मीडिया पर भी अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में भाजपा का कोई मुकाबला नहीं और कांग्रेस त्वरित प्रतिक्रिया देने तथा अपनी बात रखने में उससे मीलों पीछे नजर आ रही है। ऐसे में यह प्रश्न मौजू है कि जब बदली हुई तासीर में चुनाव प्रचार होना है और लोगों तक अपनी बात पहुंचाना है तो फिर आधुनिकतम तकनीक और खासकर सोशल मीडिया में भाजपा का मुकाबला क्या वह कर पाएगी, क्योंकि फिलहाल तो इस मामले में भाजपा से वह काफी पिछड़ती नजर आ रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने 5 जुलाई को ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और नागरिकों से वर्चुअल रैली के माध्यम से चर्चा कर जिन 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है वहां पर इस प्रकार से संपर्क साधना प्रारंभ कर दिया है। क्षेत्र में इस प्रकार से कार्यकर्ताओं को पार्टी लामबंद करते हुए उनमें जोश भरने का भी काम कर रही है। इस माध्यम से शर्मा सभी क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं और मतदाताओं से जितना अधिक से अधिक संभव हो सकेगा संवाद करेंगे। अब भाजपा ने मैदान में इस ढंग से अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। वैसे भाजपा में भी अंदर ही अंदर असंतोष है और वह इशारों-इशारों या पत्रों के माध्यम से सतह पर भी आ रहा है। बदले हुए मिजाज से होने वाले उपचुनाव में भाजपा वर्चुअल और सोशल मीडिया प्लेटफार्म का चुनाव अभियान में भरपूर उपयोग करने वाली है। हालांकि इसे आईना दिखाने का काम भाजपा सरकार में वरिष्ठ मंत्री रही कुसुम सिंह महदेले ने यह कहते हुए किया है कि वर्चुअल और एक्चुअल रैली में जमीन आसमान का अंतर है। उन्होंने तंज कसा कि जो कुछ भी वर्चुअल हो रहा है वह सब हवा-हवाई है।
दूसरी ओर कांग्रेस अपने संगठनात्मक ढांचे को चुस्त- दुरुस्त करने में लगी है और उसने प्रभारी नियुक्त कर दिये हैं तथा प्रत्यक्ष रूप से सीधे संपर्क करने में ज्यादा विश्वास कर रही है। लेकिन चूंकि वर्षाकाल आ गया है और भाजपा का अभियान तो अपनी गति से चल रहा है पर कांग्रेस को अपने कार्यक्रम निरस्त भी करना पड़ा है। भाजपा ने 3 जुलाई को अपनी रैली तो कर ली परंतु इसी दिन कमलनाथ बदनावर विधानसभा क्षेत्र से अपने जिस संपर्क और कार्यकर्ताओं में जोश भरने के अभियान का आगाज करने वाले थे, वह ज्यादा पानी गिरने के कारण कार्यक्रम हो ही नहीं पाया और वर्षा की भेंट चढ़ गया। पर भाजपा की वर्चुअल रैली हुई और कांग्रेस इसमें पिछड़ गई। वैसे कांग्रेस की रणनीति सिंधिया की घेराबंदी करने की है। मराठी मतदाताओं पर सिंधिया परिवार की मजबूत पकड़ को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कांटे से कांटा निकालने की तर्ज पर मराठी भाषी महाराष्ट्र के पशुपालन मंत्री सुनील केदार को ग्वालियर-चंबल संभाग में होने वाले 16 विधानसभा उपचुनावों का प्रभारी बना दिया है। उन्होंने यहां आकर फीडबैक भी ले लिया है। कमलनाथ की रणनीति पूरी तरह सफल होगी इसमें संदेह है। संदेह का कारण यह है कि स्थानीय महाराष्ट्रीयन मतदाताओं पर महाराष्ट्र राज्य के मराठी बोलने वाले का असर सिंधिया के मुकाबले क्या हो पाएगा ।
जहां तक सोशल मीडिया पर सक्रियता का सवाल है भाजपा के मुकाबले कांग्रेस बहुत कम सक्रिय है। भाजपा के समर्थन में जो पोस्ट आती है उसका त्वरित और लोगों के गले उतरने वाला जवाब वह नहीं दे पा रही है। इसीलिए यह सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस भाजपा का मुकाबला ऐसे में कैसे कर पाएगी। भाजपा का आगे रहने का एक कारण यह है कि विचारधारा से प्रतिबद्ध लोग यह काम कर रहे हैं जबकि कांग्रेस में ऐसा नहीं है। कांग्रेस का पिछड़ने का दूसरा कारण यह है कि भाजपा के लोग अपनी बात जेट गति से पहुंचाने की कला में पारंगत हैं जबकि कांग्रेस को अपनी बात निचले स्तर तक पहुंचाने में घंटों यहां तक की कई बार एक-दो दिन भी लग जाते हैं।
और अंत में ........।
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार रोज ही कुछ ना कुछ फैसले कर रही है और कांग्रेस भी कुछ ना कुछ सवाल खड़े कर उसे उलझाने की कोशिश करती है परंतु अभी तक तो उसे इसमें कोई सफलता नहीं मिली है, आगे देखते हैं क्या होता है। अब कांग्रेस नेता राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष एडवोकेट जेपी धनोपिया ने भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा को राज्य विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने को अवैध करार दिया है। धनोपिया ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में भाजपा द्वारा सभी लोकतांत्रिक परम्पराओं को दर किनार किया जा रहा है। उनका तर्क है कि प्रोटेम स्पीकर उस विधायक को बनाया जाता है जो वरिष्ठ हो और पिछले पाँच साल के कार्यकाल में स्पीकर की पेनल में उसने काम किया हो मगर रामेश्वर शर्मा इस मापदंड में कहीं नहीं हैं ऐसे में उनकी नियुक्ति अवैध है जिसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिये। धनोपिया की नजर में इसी तरह जगदीश देवडा की मंत्री पद पर नियुक्ति भी सरासर ग़लत है, क्योंकि प्रोटेम स्पीकर की किसी अन्य पद पर नियुक्ति हो ही नहीं सकती जबकि देवड़ा ने 2 जुलाई को सुबह 11 बजे मंत्रिपद की शपथ ले ली और शाम को 4 बजे प्रोटेम स्पीकर के पद से त्यागपत्र दिया है। उन्होंने मांग की है कि इस घटनाक्रम की सर्वदलीय कमेटी गठित कर जाँच कराना चाहिये और तत्काल मंत्रिपद से देवड़ा को हटाना चाहिये ताकि प्रदेश में लोकतंत्र की रक्षा हो सके।