राजस्थानी घूमर से सिरमौर बना श्रीकृष्ण रतन एकेडमी:लगातार दूसरी बार सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति में प्रथम रहा विद्यालय: दर्शकों ने खूब की सराहना

 

आगर-मालवा(निप्र) 60 बच्चों के एक दल ने भारतीय संस्कृति को नृत्य कला में विश्व पटल पर पहचान देने वाले राजस्थान के प्रसिद्ध घूमर,चिरमी, कठपुतली एवं कालबेलिया नृत्य को इस अंदाज में प्रस्तुत किया कि राजस्थान का कला संस्कृति माहौल आगर के परेड ग्राउंड में सजीव हो उठा। यह मनमोहक व आकर्षक प्रस्तुति गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में नगर के प्रसिद्ध विद्यालय श्रीकृष्ण रतन एकेडमी के नन्हें मुन्ने बच्चों द्वारा दी गई। परेड ग्राउंड पर मौजूद दर्शकों का मन मोहने वाली नृत्य नाटिका ने खूब दाद बटोरी। दर्शको की तालियां व कोतुहल बता रहा था कि श्रीकृष्ण रतन एकेडमी की इस जानदार, शानदार अदाकारी ने अपने  कलात्मक पहलू की कहानी लिख दी है। कुछ क्षण पश्चात इसी प्रस्तुति को प्रथम पुरस्कार की घोषणा ने माहौल को खुशनुमा कर दिया। श्रीकृष्ण रतन एकेडमी लगातार दूसरी बार बाजी मारने में सफल रहा।





श्रीकृष्ण रतन एकेडमी के डायरेक्टर विकास दुबे ने शब्द संचार को बताया कि इस वर्ष गणतंत्र दिवस भारतीय संस्कृति में राजस्थान की भूमिका विषय पर 6 मिनट 12 सेकंड की प्रस्तुति देने हेतु विद्यालय का चयन किया गया था। गणतंत्र दिवस पर श्रीकृष्ण रतन एकेडमी परिवार के 60 नन्हे-मुन्ने बच्चों  द्वारा अपनी संस्कृति से देश-विदेश में पहचान बनाने वाले  राजस्थान के प्रसिद्ध घूमर, चिरमी कठपुतली एवं कालबेलिया नृत्य का समावेश किया गया।राजस्थान में लोक नृत्यों के कई रूप है, जो आकर्षक, निपुण और मजेदार हैं। राजस्थानी लोक नृत्य घूमर और कालबेलिया ने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की है। लोक संगीत राजस्थानी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। सभी राजस्थानी लोक नृत्यों में घूमर,कठपुतली और कालबेलिया नृत्य पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है। राजस्थानी लोक नृत्य विभिन्न जनजातियों से उत्पन्न हुए हैं।
इन विभिन्न नृत्यों के माध्यम से इन छोटे-छोटे बच्चों ने राजस्थान की संस्कृति को प्रदर्शित करने के साथ अपनी देशभक्ति को प्रदर्शित करने का प्रयास किया। विद्यालय की प्रस्तुति इतनी मन मोहक थी कि ग्राउंड पर मौजूद दर्शकों ने कई मर्तबा करतल ध्वनि से बच्चों का उत्साहवर्धन किया।रंग बिरंगी पोशाकों से सजे बच्चे जन आकर्षण का केंद्र बने हुवे थे।राजस्थान के प्रमुख नृत्यों से सजी इस लाजवाब प्रस्तुति ने सब का मन मोह लिया। मुख्य समारोह में
स्कूली बच्चों द्वारा देशभक्ति गीतों से ओतप्रोत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। सर्वप्रथम शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय आगर की बालिकाओं द्वारा "हमारी संस्कृति में सदा सशक्त नारी" को दर्शाता हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। केंद्रीय विद्यालय के  बच्चों द्वारा "एक भारत श्रेष्ठ भारत" विविधता में एकता पर आधारित बहुत सुंदर प्रस्तुति दी गई। मॉडल स्कूल आगर के बच्चों द्वारा शहीद भगत सिंह का जीवन का नाट्य रूपांतरण कर संदेश दिया गया कि हर नागरिक के लिए राष्ट्रभक्ति एवं राष्ट्रहित सर्वोपरि हो। श्री सिद्धार्थ कान्वेंट स्कूल के बच्चों द्वारा "भारत का संविधान है" गीत पर प्रस्तुति दी, श्रीकृष्ण रतन एकेडमी के नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा राजस्थानी  संस्कृति का बखान करता हुआ सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया गया। माँ पितांबरा नर्सिंग कॉलेज के बच्चों द्वारा आरंभ है प्रचंड... गीत पर वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान एवं शौर्य का प्रदर्शन किया। स्कूली बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम उपस्थित दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहे , दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से बच्चों का उत्साह वर्धन किया।


मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि जिलाधीश कैलाश वानखेड़े  द्वारा    मंच से शील्ड एवं प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया।  सांस्कृतिक कार्यक्रमों में श्रीकृष्ण रतन एकेडमी  को प्रथम पुरस्कार, केंद्रीय विद्यालय को द्वितीय पुरस्कार एवं सिद्धार्थ कान्वेंट स्कूल आगर व शासकीय मॉडल स्कूल  को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
गौरतलब रहे कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत 2021 व 2022 में सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुतियां नहीं हो सकी थी। इससे पूर्व 2020 में आयोजित 
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी श्रीकृष्ण रतन एकेडमी ने प्रथम पुरुस्कार जीता था। जबकि 2019 में पहली बार सांस्कृतिक कार्यक्रम में शिरकत करते हुवे तीसरा स्थान प्राप्त किया था।

सतत परिश्रम एवं प्रयासों से मिली सफलता


 कोरियोग्राफर साक्षी अग्रवाल के मार्गदर्शन में बच्चों के सतत परिश्रम एवं प्रयासों से यह सफलता मिल सकी।कक्षा 2 से कक्षा 8 तक के लगभग 60 बच्चों ने इस प्रस्तुति में हिस्सा लिया था।  छोटे बच्चों के साथ तालमेल बैठाकर उन्हें साथ लेकर चलना बड़ी चुनोती थी। विद्यालय  की शिक्षिका परिधि दुबे,शिखा दिवाड़, मानसी त्रिपाठी, भावना सोनी सहित सभी शिक्षकों की सराहनीय भूमिका के चलते इस मुकाम तक पहुँचना संभव हो सका।


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