【शब्द संचार खास खबर】किसानों के लिए उन्नति का नया सवेरा लेकर आ रहा है इथेनाल प्लांट:पचेटी डेम के पास 45 बीघा जमीन पर आकार लेगा जिले का पहला इथेनॉल प्लांट: परसुखेडी के पास राकहार्ड वाली भूमि भी हुई आरक्षित: संतरे के बाद मक्का उत्पादन में भी इतिहास रच सकता है आगर

 

आगर-मालवा। प्रदेश का ५१वां जिला आहिस्ता-आहिस्ता विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है। २०२४ का सवेरा जिले के किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आने वाला है। २०० करोड रूपये की लागत से जिले में इथेनॉल प्लांट शुरू हो जायेगा। इस प्लांट के साथ ही एक और इथेनॉल प्लांट  शुरू होने की सुगबुगाहट जोरों पर है। अगर सब कुछ सही रहा तो संतरा उत्पादक जिला मक्का उत्पादन में भी अव्वल बन जायेगा। इन प्लांट के शुरू होने से न सिर्फ किसानों को फायदा पहुंचेगा बल्कि हजारों युवाओं को भी रोजगार मिल सकेगा। वहीं लघु उद्योग भारती नये औद्योगिक क्षेत्र के लिए जमीन तलाश रही है। यह कार्य अंतिम दौर में है और जल्द ही नये औद्योगिक क्षेत्र लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों के लिए उन्नति की राहें खोल देगें। 

इथेनॉल प्लांट आगर जिले को एक नई पहचान देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। सूत्र बताते है कि करीब २०० करोड की लागत से पचेटी डेम के नजदीक इथेनॉल प्लांट आकार लेगा। यहां उद्योगपति द्वारा ४५ बीघा जमीन खरीदी गई है। प्लांट शुरू होने की बहुत सारी महत्वपूर्ण कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है। इस प्लांट के यहां शुरू होने से जिले में मक्का का उत्पादन बढ जायेगा। इथेनॉल का निर्माण स्टार्च से किया जाता है। चावल, गन्ने और मक्का में सबसे ज्यादा स्टार्च पाया जाता है। लालमाटी आगर में मक्का का उत्पादन आसानी से हो सकता है। उद्योग में अगर मक्का का आयात बाहर से किया जायेगा तो यह पूरी प्रक्रिया जटिल होकर खर्चीली भी रहेगी। हालांकि शुरूआती दौर में मक्का का आयात बाहर से ही करना पडेगा लेकिन धीरे-धीरे संतरे के तर्ज पर आगर के किसानों का रूझान मक्का बुवाई की ओर बढेगा। किसानों को अच्छे दाम घर बैठे ही मिलने की संभावनाएं बनेगी जिससे जिले के किसानों की उन्नति होगी। इथेनॉल निर्माण की प्रक्रिया में भी तेजी आयेगी। सूत्र बताते है कि पचेटी के पास डलने वाले इस प्लांट में २५० टन मक्का की खपत प्रतिदिन रहेगी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मक्का उत्पादन के क्षेत्र में भी आगर जिला अपने झंडे गाढ सकता है। सूत्रों पर यदि यकीन किया जाये तो परसुखेडी के नजदीक रिक्त पडी राकहार्ड कारखाने की जमीन भी इथेनॉल प्लांट के लिए आरक्षित हो चुकी है। खास बात यह है कि परसुखेडी के नजदीक आकार लेने वाले इथेनॉल प्लांट पचेटी के पास शुरू होने वाले प्लांट से बडा होगा। इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाया जाता है और सरकारी स्तर पर ही इसकी खरीदी होती है। उक्त दोनों प्लांट शुरू होने के बाद जिले में एक हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। इन दो बडे प्लांट के अलावा २०२४ का सवेरा उम्मीदों की कई किरण लेकर आ रहा है। लघु उद्योग भारती लगातार प्रयासरत है कि जिले को नये औद्योगिक क्षेत्र जल्द से जल्द से मिल जाये ताकि सूक्ष्म लघु उद्योग जिले और जिलेवासियों को उन्नति के पथ पर ले जा सके। उज्जैन रोड पर तात्कालीन जिलाधीश अवधेश कुमार शर्मा के प्रयासों से लगभग ३० हेक्टेयर जमीन आरक्षित की गई थी। इस भूमि पर कृषि विभाग की आपत्ति के बाद मामला अटका हुआ था। नवागत जिलाधीश कैलाश वानखेडे ने भी जमीन आरक्षण को लेकर व्यक्तिगत रूचि लेकर इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया है। यहां ४८ हेक्टेयर जमीन आरक्षित की जा चुकी है किंतु ५० हेक्टेयर भूमि ही एमआईडीसी से डेवलप करवाने का नियम है। यह संस्था उद्योगों हेतु आवश्यक मूलभूत सुविधा  बिजली, सडक, पानी सब कुछ उपलब्ध करवाती है। ५० हेक्टेयर से कम की स्थिति में एमएसएमई कार्य करती है। आगर में इस संस्था किस तरह कार्य किया है इसका अंदाजा नगर के पुराने औद्योगिक क्षेत्र को देखकर ही लगाया जा सकता है।

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