जानिए कब, क्यों और कैसे लगेगा वर्ष 2020 का पहला चंद्र ग्रहण

इस वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी (शुक्रवार) को लगेगा। इसका प्रभाव रात 10 बजकर 37 मिनट से 11 जनवरी को देर रात 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। चंद्र ग्रहण के दौरान, चंद्रमा का लगभग 90 फीसदी भाग पृथ्वी द्वारा आंशिक रूप से ढक लिया जाएगा। जो इसके उपछाया का कारण होगा। यह ग्रहण लगभग 4 घंटे 8 मिनट तक रहेगा।


ग्रहण शुरू होने का समय – 10 जनवरी 2020, 22:37 PM


चंद्र ग्रहण समाप्त होने का समय – 11 जनवरी 2020, 02:42 AM
ग्रहण की कुल अवधि – 00:40...


10 जनवरी 2020 को चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा, मिथुन राशि में और पुनर्वसु नक्षत्र में होगा।मिथुन राशि में तब राहु भी रहेगा। इसका मतलब है कि इस राशि वालों के साथ हर प्रकार की घटना अचानक होगी। चंद्र की दृष्टि धनु राशि पर रहेगी। इसलिए इस राशि वालों को बेहद सावधान रहना होगा। इसके अलावा अन्य राशि वालों को भी लाभ हानी होगी। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार यह चंद्र ग्रहण मिथुन राशि में प्रथमा तिथि को कृष्ण पक्ष और पुनर्वसु नक्षत्र के दौरान घटित होगा। इसलिये मिथुन राशि के जातकों पर इस ग्रहण के कारण कुछ परिवर्तन अपने जीवन में देखने को मिल सकते हैं।


ग्रहण की कुल अवधि- 4 घंटे 06 मिनट


कहा दिखाए देगा 10 जनवरी 2020 का चंद्र ग्रहण- भारत, अफ्रीका, एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया


इस चन्द्र ग्रहण सबसे विशेष बात यह है कि यह भारत में भी दिखाई देगा। भारत के अलावा यह ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया  में भी दिखाई देगा। 10 जनवरी 2020 को इस साल आने वाले साल 2020 में कुल 6 ग्रहण लगने वाले हैं। इनमें तीन चंद्र ग्रहण हैं और दो सूर्य ग्रहण हैं। -


वर्ष 2020 में कब-कब लगेगा सूर्य और चंद्र ग्रहण, क्या है समय और तारीख 


अब अगर आप सोच रहे हैं कि आने वाले साल में कितने ग्रहण लेंगे तो आपको बता दें कि साल 2020 में कुल 6 ग्रहण लगेंगे। जिनमें से 3 चंद्र ग्रहण होंगे, 2 सूर्य ग्रहण।


10 जनवरी 2020 को लगने वाले चंद्र ग्रहण का समय 
ग्रहण का टाइम:  रात 10:37 से 11 जनवरी को 2:42 तक 
कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण: भारत, अफ्रीका, एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया  


5 जून, 2020 को लगेगा साल का दूसरा चंद्र ग्रहण..


चंद्र ग्रहण का समय: रात को 11:15 से 6 जून को 2:34 तक
कहां कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण: भारत, अफ्रीक, एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया  


5 जुलाई 2020 चंद्र ग्रहण
ग्रहण का समय: सुबह 08:37 से 11:22 तक।


कहां कहां दिखेगा ग्रहण: दक्षिण पूर्व यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका


30 नवंबर, 2020 चंद्र ग्रहण
ग्रहण का समय: दोपहर को 1:02 से शुरू होगा और शाम 5:23 तक


कहां-कहां दिखेगा ग्रहण: भारत, प्रशांत महासागर, एशिया, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया  


पोष या शाकम्बरी पूर्णिमा और चंद्रग्रहण एक साथ होने की वजह से गुरु पूजा भी सूतक लगने से पहले कर लेना ठीक होगा। 


इस ग्रहण का सूतक भी ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाएगा। इसके मुताबिक भारतीय समय के अनुसार 10 जनवरी की सुबह 10 बजे से ग्रहण का सूतक आरंभ हो जाएगा। सूतक से पहले ही गुरु पूर्णिमा की पूजा के बाद सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।


जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री  से आपकी राशि पर क्या होगा प्रभाव 10 जनवरी 2020 के चन्द्र ग्रहण का


मेष: इस जातकों के लिये चंद्र ग्रहण आर्थिक रुप से लाभप्रद कहा जा सकता है। आपको भाग्य के भरोसे नहीं बैठना चाहिए। कर्म करने में विश्वास रखें। इससे आपको लाभ होगा। कामकाज का दबाव रहेगा लेकिन कार्योन्नति की उम्मीद भी आप कर सकते हैं। हालांकि परिवार में किसी बात पर विवाद हो सकता है, माता की सेहत के प्रति भी आपको ध्यान देने की आवश्यकता पड़ सकती है। किसी बहुत ही करीबी दोस्त से थोड़ा सावधान रहने की आवश्यकता भी है। 
वृषभ राशि वालों को कंधे का दर्द संभावित। 


मिथुन:पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि (शुक्रवार) 10 जनवरी 2020 को होने वाला आपके लिये दांपत्य जीवन में उतार-चढ़ाव आने का संकेत भी दे रहा है। अपने स्वास्थ्य का भी विशेष रुप से ध्यान रखने की आवश्यकता है। शारीरिक कष्ट मिल सकता है। अचानक से किसी यात्रा पर भी आपको जाना पड़ सकता है अपने आप को इस स्थिति के लिये तैयार रखें। ग्रहण के दिन दूध का सेवन न करें तो बेहतर रहेगा। गले संबंधी रोगों के प्रति भी सचेत रहें।


कर्क: ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि 10 जनवरी 2020 को होने वाले चंद्रग्रहण पर आपके लिये विशेष रुप से सतर्क रहने का समय रहेगा। मानसिक तौर पर इस समय आप तनावग्रस्त रह सकते हैं। गुप्त शत्रु से धन की हानि भी आपको उठानी पड़ सकती है। कामकाज संबंधी चिंताएं भी बढ़ने के आसार हैं। अचानक से कहीं स्थानातंरण के आदेश मिल सकते हैं। जहां तक संभव हो यात्रा से बचने का प्रयास करें। गुप्त रोग की संभावनाएं भी बन रही हैं सावधान रहें। 


सिंह राशि वालों को भूमि भवन से लाभ सम्भव।


कन्या राशि वालों को स्थान परिवर्तन सम्भव ।


तुला राशि वालों को धन का लाभ। 


वृश्चिक राशि वालों को रोग , चिकित्सा अथवा ऑपरेशन होने की संभावना।।


धनु राशि वालों को धन का नुकसान सम्भव।


मकर:मकर जातकों के लिये यह चंद्र ग्रहण पीड़ा देने वाला रह सकता है। विशेषकर धन निवेश के मामले में बचकर रहें हानि उठानी पड़ सकती है। खर्चों में भी बढ़ोतरी हो सकती है। रोमांटिक जीवन में आपकी खुशियों को ग्रहण लग सकता है। विवाहित दंपतियों के बीच जहां वाद-विवाद की संभावनाएं बढ़ सकती हैं वहीं अविवाहित प्रेमी जातक भी एक दूसरे को शक की निगाह से देख सकते हैं। जिन जातकों की जन्मकुंडली में भी यही ग्रहण योग है उन्हें विशेष रुप से सचेत रहने की आवश्यकता है, उनके लिये शादी का बंधन टूटने की कगार पर पंहुच सकता है। 


कुंभ:चंद्रग्रहण के दौरान कुंभ जातकों को हो सकता है कि अपेक्षित लाभ न मिले। आपको नुक्सान उठाना पड़ सकता है। अपने शत्रुओं से सावधान रहने की आवश्यकता है। व्यवसाय में भी प्रतिस्पर्धी आपकी परेशानियों को बढ़ा सकते हैं। इस दौरान यात्रा का जोखिम न ही उठाएं तो आपके लिये बेहतर रहेगा। आर्थिक तौर पर भी किसी तरह का निवेश न करें धन हानि के योग हैं। सेहत का ध्यान व नाजुक अंगों को बचाकर रखें। नशीले पदार्थों के सेवन से बचें।


मीन: पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि मीन राशि वाले जातकों के लिये कर्म भाव में यह ग्रहण लग रहा है। करियर के मामले में थोड़ा सचेत रहें। कामकाज सावधानी से करें। आर्थिक तौर पर आपके खर्चों में बढ़ोतरी हो सकती है, आमदनी से अधिक खर्च आपकी चिंता को बढ़ा सकता है। कामकाज में देरी भी आपके मानसिक तनाव को बढ़ा सकती है। 


जानिए कैसे लगता है चंद्रग्रहण-


पूर्णिमा की रात को चंद्रमा पूर्णत: गोलाकार दिखाई पड़ना चाहिए, किन्तु कभी-कभी अपवादस्वरूप चंद्रमा के पूर्ण बिम्ब पर धनुष या हसिया के आकार की काली परछाई दिखाई देने लगती है। कभी-कभी यह छाया चांद को पूर्ण रूप से ढक लेती है। पहली स्थिति को चन्द्र अंश ग्रहण या खंड-ग्रहण कहते हैं। दूसरी स्थिति को चंद्र पूर्ण ग्रहण या खग्रास कहते हैं। चंद्रमा सूर्य से प्रकाश प्राप्त करता है। उपग्रह होने के नाते चंद्रमा अपने अंडाकार कक्ष-तल पर पृथ्वी का लगभग एक माह में पूरा चक्कर लगा लेता है। चंद्रमा और पृथ्वी के कक्ष तल एक दूसरे पर 5 डिग्री का कोण बनाते हुए दो स्थानों पर काटते हैं। इन स्थानों को ग्रंथि कहते हैं। चंद्रमा और पृथ्वी परिक्रमण करते हुए सूर्य की सीधी रेखा में नहीं आते हैं इसलिए पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर नहीं पड़ पाती है, किन्तु पूर्णिमा की रात्रि को परिक्रमण करता हुआ चंद्रमा पृथ्वी के कक्ष के समीप पहुंच जाए और पृथ्वी की स्थिति सूर्य और चंद्रमा के बीच ठीक एक सीध में हो तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। चंद्रमा की ऐसी स्थिति को चन्द्र ग्रहण कहते हैं।


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