मुनि श्री 108 मार्दव सागर जी की अंतिम यात्रा में उमडा जनसैलाब, त्रिमूर्ति मंदिर में हुएं पंचतत्व में विलीन



सुसनेर। 1 जनवरी बुधवार को आचार्य श्री दर्शन सागरजी महाराज के शिष्य 68 वर्षीय मुनि श्री 108 मार्दव सागरजी महाराज का समाधिमरण हो गया। उनकी अंतिम यात्रा दोपहर 3 बजे इंदौर-कोटा राजमार्ग स्थित त्रिमूर्ति मंदिर से बैण्ड पर णमोकार मंत्र के जाप के साथ निकाली गई। जिसमें सुसनेर, पिडावा, नलखेडा, मोडी सहित कई नगरो से महाराज श्री के अंतिम दर्शन के लिए हजारो लोग पहुंचे। इस दौरान पूरा शहर गमगीन हो गया। आचार्य श्री दर्शन सागरजी महाराज ने बताया कि बुधवार की दोपहर में 12 बजकर 1 मिनट पर उनके शिष्य मुनि श्री 108 मार्दव सागरजी महाराज का समाधिमरण हुआ जिनका अंतिम संस्कार त्रिमूर्ति मंदिर में किया गया। सकल दिगम्बर जैन समाज ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रख अंतिम यात्रा में शामिल हुएं। त्रिमूर्ति मंदिर से शुरू की गई अंतिम यात्रा नगर के मैना रोड, इतवारीया बाजार, सराफा बाजार, शुक्रवारीया बाजार, स्टेट बैंक चोराहा, पुराना बस स्टेण्ड, सांई तिराहा, डाक बंगला रोड से होते हुएं पुन: त्रिमूर्ति मंदिर परिसर पहुंची जहां पर शाम को 5 बजे मुनि श्री 108 मार्दव सागरजी महाराज का पंचतत्व में विलीन हुएं। जहा अंतिम संस्कार की बोली प्रेमचंद-फूलंचद जैन सिंघई परिवार बडा जीन वाले ने लेकर मुनिश्री की उल्टी परिक्रमा करके मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार की क्रियाएं पंडित अर्पित जैन वाणीभूषण इंदौर और पंडित शांतीलाल जैन आगर वाले के द्वारा सम्मन्न कराई गई। अंतिम यात्रा में क्षेत्रिय विधायक विक्रमसिंह राणा व बडी संख्या में जैन समाज के अलावा अन्य समाज के लोग शामिल हुएं। 


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