हे बाबा बैजनाथ सब ठीक करो,अब मुझको मंदिर आना है
*हे बाबा बैजनाथ सब ठीक करो,*
*अब मुझको मंदिर आना है।*
*करनी है दो बातें तुमसे,*
*फिर से दर्शन पाना है।।*
जो हालात हुए हैं जग के,
ये ना किसी ने सोचा होगा।
मौत के इस अजीब से डर ने
ना जीवन को नोचा होगा।।
आ के इसको ख़तम करो अब,
वचन ये तुमको निभाना है।
*है बाबा बैजनाथ सब ठीक करो,*
*अब मुझको मंदिर आना है।*
हे प्रभु आपकी प्यारी सूरत
मुझे याद बड़ा ही आती है।
तुमसे मिलने की चाह प्रभु
रह रह कर दिल को तड़पाती है।।
नम हैं आंखें दिल है सूना,
ऐसे ना अब चल पाना है।
*हे बाबा बैजनाथ सब ठीक करो,*
*अब मुझको मंदिर आना है।*
ना सोचा था सपने में भी
ऐसे दिन भी आयेंगे।
नगरी सूनी होंगी तेरी,
सब घरों में बंध जाएंगे।
बिनती हमारी यही प्रभु
अब इस बंधन से भी छुड़वाना है।
*हे बाबा बैजनाथ सब ठीक करो,*
*अब मुझको मंदिर आना है।*
ऐसी कौन सी चीज़ है जिसका
तुम्हारे पास इलाज नहीं।
छेड़ा हमने ही कुदरत को,
आयी हमें भी लाज नहीं।
ये गलती हमारी क्षमा करो
इस बिगड़ी को तुम्हे बनाना है।
*हे बाबा बैजनाथ सब ठीक करो,*
*अब मुझको मंदिर आना है।*
लेखक -अज्ञात
प्रस्तुति-ग्रीश मालानी