गुल खिलाती सिंधिया समर्थक और विरोधी योद्धाओं की चुनावी जंग

मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर जिले के सांवेर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित क्षेत्र में चुनावी जंग अलग ही रंगत लिए होगी। कांग्रेस में युवा नेताओं में किसी जमाने में प्रेमचंद गुड्डू और तुलसीराम सिलावट प्रमुख नाम थे और अब चुनाव में दोनों एक दूसरे के आमने-सामने होंगे। सिलावट और गुड्डू कांग्रेस पार्टी से विधायक रह चुके हैं पर दोनों एक दूसरे के खिलाफ पहली बार चुनाव में ताल ठोंकते नजर आएंगे। गुड्डू कांग्रेसी सांसद भी रह चुके हैं जबकि सिलावट कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे हैं और भाजपा सरकार में जल संसाधन मंत्री हैं। सिलावट ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास समर्थक हैं तो गुड्डू सिंधिया के मुखर विरोधी हैं। सिलावट माधवराव सिंधिया के भी नजदीकी रहे हैं। गुड्डू ने वापस कांग्रेस में आते समय कहा था कि सिंधिया के कारण वह भाजपा में गए थे और जब भाजपा में सिंधिया आ गए तो मैं कांग्रेस में लौट आया। इस प्रकार सांवेर की चुनावी जंग में सिंधिया के कट्टर समर्थक और सिंधिया विरोधी के बीच चुनावी जंग में कुछ ना कुछ गुल जरूर खिलेगा, क्योंकि दोनों ही उम्मीदवार चुनावी राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी हैं।


     


 


सांवेर में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट अब भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे हालांकि अभी अधिकृत घोषणा होना बाकी है। कांग्रेस ने प्रेमचंद गुड्डू को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। गुड्डू और सिलावट के दलबदल में एक अंतर यह है की गुड्डू ने कांग्रेस टिकट नहीं मिलने पर भाजपा की सदस्यता ली थी जबकि सिलावट ने कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए त्यागपत्र दिया और कांग्रेस सरकार गिर गई।उपचुनावों में कांग्रेस का चुनावी नारा 'बिकाऊ नहीं टिकाऊ चाहिए' है। अब यह तो सांवेर के मतदाता ही तय करेंगे कि वह किसे टिकाऊ और किसे बिकाऊ मानते हैं। लेकिन इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि चुनावी मुकाबला दिलचस्प होगा। सिलावट इस क्षेत्र में काफी पहले से सक्रिय हैं, गुड्डू भी अपनी जमावट काफी पहले से कर रहे हैं। सिलावट के समर्थन में भाजपा कार्यकर्ता घर-घर तुलसी की मुहिम चला रहे हैं तो वहीं प्रेमचंद गुड्डू हर-हर महादेव , घर-घर महादेव का नारा लगाते हुए चुनावी तैयारियों में लगे हुए हैं। सांवेर क्षेत्र में महिलाओं की एक बड़ी कलश यात्रा भी निकल चुकी है। दोनों ही नेता चुनावी लड़ाई में एक दूसरे पर बढ़त बनाने के फेर में कोरोना संक्रमण के आंकड़े बढ़ा रहे हैं। सिलावट और गुड्डू दोनों ही कोरोना पॉजिटिव भी हो चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सांवेर में एक बड़ी जनसभा कर चुनाव अभियान का बिगुल फूंक चुके हैं तो वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया सिलावट के पक्ष में श्राद्धपक्ष की समाप्ति के बाद जनसभा करने वाले हैं। सिलावट का प्रयास है कि यह चुनावी आयोजन कमलनाथ के कार्यक्रम से काफी जंगी हो और इस प्रकार सिलावट अपनी ताकत का एहसास कराने के मंसूबे बांध रहे हैं। सिलावट 80 के दशक से सांवेर में चुनाव लड़ते रहे हैं इसलिए उनका नाम जाना पहचाना है। इस चुनाव में उनके सामने एक समस्या यह भी है कि उनका चुनाव चिन्ह अब पंजा नहीं कमल होगा और गुड्डू का चुनाव निशान पंजा ही रहेगा जिस पर वह चुनाव लड़ते रहे हैं। यदि क्षेत्र की तासीर को देखा जाए तो सिलावट के पक्ष में यह जाता है कि यहां भाजपा की पकड़ भी काफी मजबूत है और यदि भितरघात नहीं होता है तो उनकी राह आसान हो सकती है ।


      


 


चार दशक में सिलावट ने हर दौर की राजनीति देखी है और पहली बार दलबदल कर भाजपा में गए हैं, शायद वह भी भावनात्मक दबाव के कारण। उन्हें 1985 में सांवेर से टिकट माधवराव सिंधिया ने दिलाया था और बाद में सिलावट मोतीलाल वोरा के मुख्यमंत्री काल में संसदीय सचिव रहे। 2007 में उन्होंने एक उपचुनाव जीता और उस समय राज्य में शिवराज सिंह चौहान की सरकार थी तथा राज्यमंत्री प्रकाश सोनकर के निधन के कारण यह सीट रिक्त हुई थी। उस उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रचार में काफी समय दिया था। 2008 में सिलावट चुनाव जीते परंतु 2013 में चुनाव हार गए, 2018 में फिर से विधायक बने और कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे तथा दलबदल के बाद शिवराज सरकार में जल संसाधन विभाग के मंत्री हैं। कांग्रेस उम्मीदवार प्रेमचंद गुड्डू ने 1998 में भाजपा के प्रकाश सोनकर को पराजित कर चुनाव जीता। 2003 और 2008 का विधानसभा चुनाव गुड्डू ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में आलोट से जीता तथा 2009 में उज्जैन में भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. सत्यनारायण जटिया को पराजित कर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव जीता। गुड्डू 2014 का लोकसभा चुनाव हार गए, अब उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सिलावट के विधानसभा प्रवेश को रोकने के लिए वे ताल ठोंक रहे हैं। सिलावट के लिए यदि मंत्री बने रहना है तो हरहाल में चुनाव जीतना होगा। सांवेर में हुए पिछले 5 चुनाव का रिकॉर्ड देखा जाए तो सिलावट ने दो चुनाव जीते हैं, उन्होंने1985 का चुनाव और 2007 का उपचुनाव जीता है लेकिन सभी में वे कांग्रेस उम्मीदवार थे। भाजपा प्रत्याशी के रूप में तो वे पहली बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 1998 के विधानसभा चुनाव में गुड्डू ने भाजपा के प्रकाश सोनकर को 3444 मतों के अंतर से पराजित किया था। 2003 के चुनाव में प्रकाश सोनकर ने कांग्रेस के राजेंद्र मालवीय को 19637 मतों के अंतर से पराजित किया। 2008 के चुनाव में सिलावट ने प्रकाश सोनकर की पत्नी निशा सोनकर को 3417 मतों के अंतर से पराजित किया। 2013 में सिलावट भाजपा के राजेश सोनकर से 17583 मतों के अंतर से हार गए लेकिन 2018 में उन्होंने सोनकर को 2945 मतों के अंतर से पराजित कर चुनाव जीत लिया।


 


 


और अंत में....


 


माधवराव सिंधिया की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद से ज्योतिरादित्य के साथ तुलसीराम सिलावट पूरी मजबूती से खड़े रहे और भावनात्मक लगाव के चलते उन्होंने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। उपचुनाव नतीजों में देखने वाली बात यही होगी कि सिंधिया सिलावट को चुनावी वैतरणी पार कराने में सफल होते हैं या उनके विरोधी रहे प्रेमचंद गुड्डू सिलावट की विधानसभा में पहुंचने की हसरत को पूरा होने से रोक देंगे ।


🔷लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं।


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