ग्रामोफोन स्मार्ट खेती करने का कमाल; मीणा जी बने घर और गाडी के मालिक
मध्यप्रदेश:- भारत की पावन भूमि को कई प्रकार के अनाज, दाल, तिलहन, मसाले, सब्जियां तथा फल आदि की भरपूर उपज प्राप्त करने का वरदान प्राप्त है। यह उपज सिर्फ देश तक ही सिमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी लम्बे अरसे से इनका बड़ी मात्रा में निर्यात किया जा रहा है। विश्वविख्यात सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत में किसान को अन्नदाता का दर्जा दिया गया है। अब हमारे देश के अन्नदाता आधुनिक भारत की ओर कदम बढ़ाने के साथ ही धीरे-धीरे आधुनिक खेती को भी अपना रहे हैं और इसमें किसानों की हर कदम पर मदद कर रहा है ग्रामोफ़ोन। पिछले पांच साल में ग्रामोफ़ोन से 8 लाख किसान जुड़ें हैं और स्मार्ट खेती की तरफ अग्रसर हुए हैं। ऐसे ही एक किसान की कहानी हम आज आपके समक्ष लेकर आए हैं।
खातेगांव तहसील के ग्राम इकलेरा के सत्यनारायण मीणा खरबूज की खेती करते हैं। पिछले कुछ साल से वे ग्रामोफ़ोन के मार्गदर्शन में खेती कर रहे हैं और इस विषय पर वे कहते हैं, "ग्रामोफोन जब से मेरे जीवन में आया है, मेरा खेती करने का नजरिया पूरी तरह से बदल गया है। अपनी तीन एकड़ जमीन में मैंने 2 एकड़ में ग्रामोफोन के खरबूज समृद्धि किट का उपयोग किया और 1 एकड़ में साधारण पद्धति से उत्पादन किया। ग्रामोफोन टीम के सदस्य हर 8 दिन में इसका निरिक्षण करते रहे और आवश्यक दवाइयों का छिड़काव करवाते रहे। इसका अंजाम यह रहा कि मेरे द्वारा साधारण पद्धति से की गई उपज से मुझे 45 क्विंटल फल प्राप्त हुआ, जबकि ग्रामोफोन की सलाह से किए गए 2 एकड़ की उपज से मुझे 150 क्विंटल फल की प्राप्ति हुई।"
वे आगे कहते हैं, "वास्तव में ग्रामोफोन किसी सपने को साकार करने जैसा है। जब से यह मेरे जीवन में आया है, खेती को लेकर समस्या क्या होती है, यह मैं भूल गया हूँ। पिछले वर्ष, जब कहीं भी बीज, खाद तथा दवाई आदि नहीं मिल पा रहे थे, उस समय इसने सच्चे मित्र की तरह मेरा साथ दिया, और एक मिस कॉल पर मुझे मेरी जरुरत की हर एक वस्तु के साथ ही भरपूर सलाह की भी प्राप्ति हुई। इसका परिणाम यह रहा कि आज मैं 7 एकड़ की जमीन पर खेती करता हूँ। वर्षों से मैं और मेरा परिवार कच्चे घर में रह रहे थे, लेकिन आज मेरे पास पक्का मकान होने के साथ ही खुद की गाड़ी भी है। सबसे खास बात यह है कि पहले मैं अकेले ही खेती करता था, लेकिन आज मेरी वजह से 5 से 7 मजदूरों का भी भरण-पोषण हो रहा है।"
अपनी 45 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज को 75 क्विंटल प्रति एकड़ में परिवर्तित करने वाले सत्यनारायण देश के सभी किसानों को यह संदेश देना चाहते हैं की, "यदि आपकी 10 एकड़ की जमीन है, तो शुरुआती तौर पर 1 एकड़ में ही सही, ग्रामोफोन की सलाह से खेती करें, अंतर स्वयं आपके सामने आएगा। आधुनिक खेती के इस दौर में ग्रामोफोन हमारा सबसे बड़ा सलाहकार है।"
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